Naukrani ke bete se Chudwaee: Barson Ki Pyaas
मैं ५२ की हो चुकी हूँ| उनका अभी ६०वाँ लगा है| लेकिन हम ने करीब पिछले ५
साल में एक बार भी सेक्स नहीं किया| हम दोनो तो अब भाई बहन जैसे रहते
हैं| हम दोनो अकेले रहते हैं| ज़्यादा बाहर नहीं जाते| घर में एक काम
वाली बाई है| बस| मैने एक बार कहीं पढ़ा था कि दिए की लौ बुझने से पहले
बड़ी ज़ोर धधकती है| उसी तरह बुढ़ापे से पहले अंतिम सेक्स बहुत कमाल का
होता है| पर इनका तो मन ही नहीं लगता इन सब में| मैं बेचारी तड़पती रह
जाती हूँ|
उस किताब में ही मैने लंड के तरह तरह के फोटो देखे थे| तब से मैं हर शाम
बैंगन और केले लाने लगी| अब तो बैंगन कम बनते थे, उससे ज़्यादा मैं उन्हे
अपने बुर में डाल कर खराब करने लगी थी| थोड़े दिन के बाद में सॉफ्ट
मोमबत्तियाँ लाने लगी| उन्हे बुर में डालने में असीम आनंद आता है| थोड़ा
थोड़ा करके अंदर लो| फिर एक झटके में पूरा| मोमबत्ती से पूरी बुर खुरच
लो| लेकिन असली लंड की प्यास रह गयी| इनका तो ५ इंच का है, वैसे भी कभी
नहीं भाया| मुझे नये लंड की तलाश थी| हम मोहल्ले में रहते हैं| लोक लाज
के कारण घर में किसी मर्द को बुला कर चुदवा नहीं सकती| मुझे तब नज़र में
आया, अपनी बाई का छोरा| साला अभी २० का हुआ है| उसे तो अभी चोदना भी नहीं
आता होगा| वो मेरे पंजे में आसानी से आ जाएगा|
मैने बाई को उसे काम देने की बात बोल कर अकेले में एक दिन भेजने के लिए
कहा| उस दिन पति देव महाराज परदेस की यात्रा पर निकले थे| मैने बाई को २
दिन की छुट्टी दे दी|
भोलू शाम के ४ बजे के करीब आया| मैं पहले से भरी बैठी थी| सब्र करना
मुश्किल हो रहा था, लेकिन बिना फसाए चुद ने में भी कोई आनंद कहाँ?
मैं चौकी पर बैठी थी| अंजान बनते हुए मैने अपना आँचल गिरा दिया| मेरे
बड़े बड़े स्तन बस बाहर निकलने को तय्यार थे|
"आजकल का जमाना खराब हो गया है| कल परसों मैने अंजान आदमी को अपने रास्ते
घूमते देखा| अब बताओ की कोई शरीफ आदमी कैसे चले? कल परसों की ही बात
लेलो| वो पड़ोस की विमला| उसके राह चलते किसी ने दबा दिया| ऐ भोलू, तुमको
बुरा तो नहीं लगा ना?"
"नहीं मालकिन, ई सब तो हम सुनते ही आए हैं| हम लोग तो हॉर्न बजाना बोलते हैं|"
"हाँ, तो वही, विमला का किसी ने हॉर्न बजा दिया| अब बताओ हम बूढ़ा लोग
कैसे चलेंगे| हम को तो आजकल राह चलने में भी डर लगता है|"
मैने अपने पल्लू को पूरा सरका दिया, जिससे मेरे मुममे भी नज़र आने लगे|
भोलू नज़र नीचे किए, कनखियों से मुझे घूर रहा था| मैं तो पछा गयी| जल्दी
से बाथरूम जा कर पानी साफ किया| भोलू का पाजामा तो बिल्कुल तंबू हो गया
था| मैने उसे बैठने को कहा|
"मालकिन, अम्मा ने कहा था कि आप नौकरी लगवा दोगी|"
"हाँ, एक जान पहचान का आदमी है| थोड़ी देर में आएगा| सोच रही हूँ तुम
दोनो के लिए चिकन बना दूं| तू जा कर मुर्गा कटवा कर ले आ| मैं मसले गरम
करती हूँ|"
भोलू मुर्गा लेने गया| मैने सोच रखा था कि आज खाने के बाद जम कर चुदाई
करनी है| इसे खिला पिला कर हलाल करना है|
भोलू मुर्गा ले कर आया| पर अब उसका तंबू बैठ गया था| मैं तब तक नाइटी पहन
चुकी थी| मेरी नाइटी थोड़ी झीनी थी| और मैने कुछ पहना नहीं था, मेरे बुर
को देख कर भोलू का फिर खड़ा होने लगा| मैने सोचा कि अब और सब्र नहीं
होता| मैने उसे बेड रूम में आने के लिए कहा| मैने अपना हेवी चुतताड़ बेड
पर रखा| फिर कहा,
"भोलू अगर तुम किसी से नहीं कहोगे तो हम तुमको चोदना सिखा देंगे| फिर
मैने उसे पलंग पर बुलाया| मैने उसके पाजामे का नाडा खोल दिया| बेचारे ने
तो अभी चड्डी पहनना भी नही शुरू किया था| ७ इंच का लॉडा फंफनता हुआ मेरे
हाथ में आ गया| उसने मेरी नाइटी उतार दी| मैने उसके लंड को धीरे धीरे
सहलाना शुरू किया| वो पागल होता जा रहा था| फिर मैने उसे चूसना शुरू
किया|
उसकी हालत खराब होने लगी| उसे मैने कहा, "मादरचोद, अब खड़ा खड़ा क्या देख
रहा है? मेरे मुममे और मेरे बुर क्या तेरा बाप चूस के जाएगा?" ये सुनने
की देरी थी, वो भूखे नंगे शेर की तरह मुझ पर झपट पड़ा| इतने अच्छे से
चूसा की मेरे बरसों की प्यास मिट गयी|
"आह, आह, उई माँ| ज़ालिम अब चोद भी डाल|"
मैं उसे चोदने के गुर सिखाती जा रही थी| वो बस मुझे चोदता जा रहा था|
पहली बार मैं बिस्तर पर ३० मिनिट लेती रही|
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