Sunday, February 20, 2011

मैंने पापा के साथ समलैंगिक सम्बन्ध बनाया



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मैंने पापा के साथ समलैंगिक सम्बन्ध बनाया 


 मैं बहुत ही दुबला पतला हूँ.. मेरे शरीर पर नाम मात्र के बाल है.. झांट और सर के बाल के अलावा छाती या हाथ पैर पर बाल नहीं हैं.  मतलब की ये की मैं अगर साड़ी में भी आ जाऊं तो लोग मुझे पहचान नहीं पाएंगे. मेरी आवाज़ भी वैसी ही लड़कियों वाली है. 
खैर, दोस्तों ये कहानी नहीं सच्ची घटना है.. मैं बहुत छोटा रहा हूँगा. रोज की तरह मैं मोहल्ले में खेलने के लिए निकला. मैं अपने दोस्त के घर खेलने जाता था. वो मुझसे ४-५ साल बड़ा भी होगा.   खैर,  उस दिन वो घर पर अकेला था और उसका मूड बदला बदला सा था.. दरवाजा खोलने के बाद मैंने देखा की उसकी पैंट में से कुछ निकल रहा था. फिर मुझे उसने अन्दर बुलाया और कहा की आज एक नया खेल खेलेंगे. मैं तैयार हो गया. उसने कहा की अगर किसी को इस खेल के बारे में बताया तो फिर वो यहाँ नहीं रह पायेगा. मैंने सोचा ऐसा क्या है इस खेल में.. उसने कहा की खेल कपडे अदला बदली का है. .. मैंने कहा इसमें ऐसी क्या बात है? ठीक है.. मैं तैयार हूँ.. वो मुझे अपनी मम्मी के कमरे में ले गया. वहां  मैंने अपने कपडे उतरने शुरू किये... पहले पन्त  और फिर शर्ट , बनियान मैं बस चड्डी में था. उसने कहा की चड्डी भी उतर.. मैंने मना कर दिया ... पर वो जबरदस्ती करने लगा.. आगे बढ़ कर एक झटके में मुझे नंगा कर दिया.. मैं अपनी नुन्नी छुपाने लगा,,, फिर उसने मुझे चड्डी दी जो लड़कों की नहीं लड़कियों की थी जो मैंने पहनने के बाद महसूस की. फिर उसने मुझे ब्रा दी जो मैंने फैंक दी.. तो उसने मुझे पहना दी. इसके बाद वो मुझे साया और ब्लाउज पहनाने लगा. ये साड़ी चीज़ें उसकी मम्मी की थी. ये पहनने के बाद मैंने महसूस किया की मेरी नुन्नी में हलचल हो रही है और वो खड़ा हो रहा है. फिर उसने मेरी कमर में साडी खोंसी और फिर एक लपेटा दे कर चुन दे कर साड़ी मेरी कमर में खोंसी और फिर मेरी कंधे पर आँचल डाला. उसकी मम्मी मेरी ऊंचाई की थी तो साइज़ की दिक्कत नहीं थी .
मुझे अब ये अच्छा लगने लगा था... उसने आगे कहा की लोल्लिपोप  चूसोगे... मैंने कहा की इतना करने के बाद लोल्लिपोप मिल जाए तो क्या बुरा है.. मैंने कहा हाँ, इस पर उसने अपनी पैंट और चड्डी दोनों उतार दी.  और मुझे बिस्तर पर ले गया.. मेरी नजर उसके लिंग पर गयी जो पूरा ताना था. उसने मेरे मोंह मैं अपना लिंग दिया.. मैं परेशान हो गया की यइ क्या हो गया.. मैंने तो लोलीपोप माँगा था. उसने कहा की उसके लिंग का सुपदा ही लोलीपोप है.. थोड़ी देर बाद उसके लिंग से कुछ सफ़ेद से गाढ़ा सा gira,, मैंने उगल दिया,  फिर उसने देखा की मेरा अब भी खड़ा है तो उसने मुझे mooth मारना सिखाया की कैसे लिंग को साड़ी में हिलाने से मजा आता है. मुझे असीम सुखा का आनंद आया, उसने कहा की जब तक साड़ी पहन कर किसी का लिंग नहीं चूसो तो मजा नहीं आता.  मैंने इसे ही सच माना. फिर बाद में अपने घर आ गया.
पिछली बार का मजा मुझे फिर उसके घार खींच लाया.  पर उसका घर खाली नहीं था... मेरे मम्मी पापा की पार्टी में जाने वाले थे,,, तो मैंने उसे अपने घर बुला लिया. इस बार भी उसने मुझे साडी पहना कर अपना लिंग चुस्वाया.  ये किस्सा ४ महीने चला जब तक की उसके पापा का ट्रान्सफर नहीं हो गया. अब मैं अकेला था लेकिन मुझे साड़ी पहनने और लिंग चूसने की aadat पद गयी थी.  

मेरी दसवीं की परीक्षा शुरू होने वाली थी और मेरा परीक्षा केंद्र नजदीक के शहर  में था जहाँ मेरे मामा और मामी रहते हैं.  मैं परीक्षा के शुरू होने के कुछ दिन पहले ही मामा के घर पहुँच गया... पहले परीक्षा के बाद मैं बड़ा खुश था. घर पहुँच कर मामी को चौंका  देने वाला था.  मेरे पास एक्स्ट्रा चाभी थी.  मेरी मामी नहा रही थी उनको पता नहीं चला की मैं आ चूका हूँ.. मामी थोड़ी देर के बाद नंगे ही आईने के सामने अपने बंदन को निहारने लगी.. मैंने अभी तक किसी औरत को नंगे नहीं देखा था,,, मेरा लिंग खड़ा होने लगा.. मैं चुपके से मामी की chuchiyan देकने लगा... तब तक शायद मामी ने मुझे आईने में कोने से देख लिया... चिल्लाने के बजाये ..उन्होंने मुझे बुलाया और कहा की ये गलत बात है... ऐसे किसी को देखना गलत है.. और भी बहुत कुछ सुनाया... मैंने कहा की मामी गलती हो गयी... मैं बस आपको किस्स करना चाहता था... मैं आपको किस कर सकता हूँ?? मामी ने कहा हाँ और अपना गाल आगे बढाया,,, और जैसे ही मैं किस करने के लिए अपने लिप उनके गाल पर लगाने वाला था,.. उन्होंने अपना लिप आगे कर लिए.. मैं उनके होंटों को चूम रहा था.. मामी भी मेरा साथ दे रही थी... हम दोनों बहुत देर तक एक दुसरे को चूमते रहे... और इस बीच मेरी मामी का हाथ मेरे पैंट तक पहुंचा.. वो मेरे पैंट को खोलने लगी और मेरी चड्डी से मेरे लिंग निकल कर खेलने लगी जो अब बहुत बड़ा हो चूका था... मामी ने कहा की मैंने जितना अनुमान लगाया था .. ये उससे भी बड़ा है.... फिर वो मुझे अपने बिस्तर पर ले गयी.,,, मामी की सहायता से मैं अपने जौहर दिखने लगा.. मामी मेरा चूस रही थी. मैं ६९ स्थिति में मामी की बुर चूस रहा था.. मामी "आह  आह" करने लगी...मैं मामी की बुर को जीएभ से चाट चाट कर गीला कर रहा था... मामी ने कहा की अपनी उंगलियाँ घुसू.. मैंने अपनी २ ऊँगली डाली... मामी की बुर फैलने लगी.... मामी ने कहा की और डाल ,,, मैंने एक-एक करके... अपना पूरा हाथ उनकी बुर में डाल दिया..मामी की कराहे मुझे बेचैन किये पड़ी थी,,,, मामीन कहा,,मादरचोद अब तो चोद  दे| क्यों tadpa  रहा है जालिम . मैंने मामी का कहा माना और अपना लिंग उनकी बुर में प्रवेश करा दिया,,, इसके बाद मामी ही उछल उछल कर अपनी गांड दे रही थी... फिर मैंने उसे ३ तरीके से चोदा    ... पहले मैं उनके ऊपर... फिर वो मेरे ऊपर और फिर मैं पीछे से उसे कुतिया बना कर चोदा.... मामी बहुत खुश हो गयी,,, अब तो मेरी हर दिन ही रंगीन थी,,, मामा शाम को आते थे और थक कर सो जाते थे... तब मैं समझा की मामी मुझसे क्यों चुदने के लिए तैयार हो गयी..
लेकिन बात ये नहीं थी... मैंने असली बात मामा के घर आखिरी रात को  जाना... मेरे मामा भी मेरी तरह साड़ी और लिंग के शौक़ीन थे... ये बात शायद मामी को पता नहीं या फिर मामी पसनद नहीं करती थी... मामा के घर में तीन रूम थे... मामा मामी एक रूम में और मैं दुसरे  रूम में सोता था..उस दिन रात को मैं पानी पीने के लिए उठा...तभी मैंने देखा की तीएसरे रूम में मेरे मामा .. साड़ी पहन कर बिस्तर पर बैठने ही वाले थे.. मामी दुसरे कमरे में सोयी .. मेरी पुरानी इच्छा जाग उठी... वैसे भी एक सप्ताह से मामा जल्दी आ जाते थे और मैं मामी की चुदाई नहीं कर पाटा था.. मामा भी मेरे कारण... एक महीने से साड़ी नहीं पहन पाए थे. इसलिए शायद मामा साड़ी पहन कर बैठी ही थे... मैंने सोचा की इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा,,, और मैं कमरे में घुस गया... मामा ये देखते hi चौंक गए.. मामा बोले की बेटा जो तुम सोच रहे हो वो ये नहीं है.. मैंने कहा की मामा आप अगर आज मुझे अपना लिंग चूसने दे दो तो मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा,,, मामा भी सुनते ही खुश हो गए,,,, उन्होंने खुद ही अपने साड़ी उठा दी और अपने ५" के लिंग का दर्शन करा दिया,,, अब मैं समझा की मामी खुश क्यों नहीं होती.,,, मैं और मामी एक दुसरे में समां गए... वो मेरा और मैं उनका चूसने लगा..झड़ने के बाद उन्होंने मुझे राज की बात बतायी की मेरे पापा भी साड़ी पहनते हैं,,, और ये उन्होंने अपनी आँखों से देखा है,,, वैसे मेरे पापा नहीं जानते की मेरे मामा ये बात जानते हैं.. मामा जी की आज तक हिम्मत नहीं हुई की वो पापा को अपनी गांड मारने के लिए तैयार कर सके...  
मैंने कहा मामा ... आप बस तैयार रहना जब मैं कहूं आप बस हाजिर हो जाना... 
मेरे पापा साड़ी तो पहनते थे लेकिन समलैंगिक नहीं थे,,, एक दिन उनके बिस्तर पर मैंने साड़ी साया ब्लाउज का सेट देखा जो घर में किसी औरत का नहीं था. ये मेरे शक को पक्का करने के लिए काफी था.. एक दिन सुबह सुबह पापा उठ कर नीचे चाय पीने आये.. उस समय बस मैं ही जगा था,,, मैंने देखा की उनके माथे पर बिंदी है.. और होंठों पर लिप ग्लोस की chamak बरक़रार  थी.. पापा ने थोड़ी देर बाद आईने में देखा और झट से बिंदी हटाई.. पर तब तक तो मुझे विश्वास हो गया था.. लेकिन अब पापा को पटाया कैसे जाए?  मैं इस कोशिश में २ साल जुटा रहा.
मेरे घर में २ मंजिलें हैं.. नीचे मंजिल  पर एक शयन कक्ष और एक मेहमानों का कमरा है.. ऊपर वाली मंजिल पर वो कमरा श्रृंगार कक्ष है..सर्दियों में हम लोग ऊपर वाले कमरे में २ पलंग लगा कर sote हैं... पापा अकेले ही सोते हैं. मैं एक दिन पापा के साथ, कह कर की उस कमरे में नींद नहीं आ रही, सोने गया.. मेरे पापा को उस दिन .. पीठ में दर्द था तो मुझे तेल लगाने के लिए कह दिया... मैंने पीठ में तेल लगाने के बजाये... कमर पर लगाने गया और मेरे हाथ फिसलते फिसलते उनकी गांड तक पहुँच गयी.. मैं उनका लिंग पकड़ने ही वाला था की फ़ोन बज उठा और उन्होंने फ़ोन उठा लिया.. बहुत देर तक वो बात करते रहे और मैं सो गया.. रात में मैंने उनके पजामे के ऊपर उनकी गांड पर लिंग रख कर मूठ मारी.. पर उन्हें पता नहीं चला शायद..
एक दिन मैं रात को सोने के लिए आया तो मैंने देखा की कमरे की बत्ती बुझी हुई है और पापा की सांसें बहुत तेज चल रही है.. पापा ने कहा की मैं जा कर नीचे से उनके लिए दावा ले कर आऊ, लगता है की उन्हें सांस लेने में तकलीफ है. पर मुझे पता चल गया था की पापा मूठ मार रहे हैं.. गलती से रूम कर दरवाजा खुला रह गया था. मैंने मधिम रौशनी में देखा की पापा की रजाई से उसी साड़ी का एक कोना निकल रहा था जो मैंने कुछ दिनों पहले देखा था.  मैंने कहा " अच्छा! आप साडी पहने हुए हैं.. वैसे भी आप साड़ी में ही अच्छे दीखते हैं.  आदमियों के कपडे में नहीं." यह सुन कर पापा दांग रह गए पर कुछ बोल नहीं पाए.. मैं उनके बगल में जा कर लेट गया उअर उनकी चूची और लिंग छूने की कोशिश करने लगा.. पर chhoo नहीं पाया.. थक के मैं उनके सामने मूठ मार कर सो गया... अगले दिन से उन्होंने मुझे साथ सोने से मना कर दिया.  फिर भी मेरी इच्छा उन्हें नंगा देखने की बढती गयी.. उनके लिंग को सोच सोच कर मैंने कितनी बार मूठ मारा होगा. 

अगली गर्मियों  में घर के सब लोग नीचे सोये हुए थे, एक दिन मैं रात को पहले आ कर सो गया था जिसका पता पापा को नहीं चला... उस दिन रात में १-२ बजे मेरी नींद खुली तो देखा की मेरे पापा मेरी मम्मी बनाने के लिए तैयार हो रहे हैं.. उन्होंने अपनी बनियान उतारी और फिर सफ़ेद रंग की ब्रा पहन ली.. उनके बूब्बे बहुत ही फूले हुए थे की उन्हें कुछ डालना नहीं पड़ा..मेरे पापा के शरीर पर मेरी तरह बाल नहीं है., तो पता नहीं चलता था की ये आदमी है या औरत. फिर वो प्यार से अपना पजम उतर कर मोड़ कर रख दिए,अब मुझे लगा की मैं उनके लिंग का दर्शन कर लूँगा.  पर फिर एक साया ला कर ऊपर से औरतों की तरह पहना और नीचे से अपनी चड्डी निकल का मोड़ कर रख दी.  फिर एक मखमल का ब्लाउज पहना, इसके बाद वो आईने से सामने खड़े हो कर अपना साया जोर जोर से हिलाने लगे.. इतना करने के बाद.. वो श्रृंगार कक्ष गए और वह जाकर साड़ी पहनने लगे.. मैं रजाई के अन्दर नंगा होने लगा.. मैंने दूर से पापा को साड़ी पहनते हुए देका और उनकी गांड देख कर मदमस्त हो गया. पापा वापस इस रूम आ रहे थे,, मैं वापस रजाई में घुस गया.. पापा आकर लेट गए, 

फिर कमरे में अचानक प्रकाश हो गया... पापा चौंक गए.. मैं पापा के सामने नंगा खड़ा था .. पापा रजाई में थे.. और सन्न रह गए.. इतनी देर में मैंने पापा की रजाई खीच ली.. पापा के रूप का दर्शन किया.. इतने सुन्दर मेरे  पापा होंगे ये मैंने सोचा नहीं था.. पापा के सामने तो अच्छी सुन्दर हेरोयिने भी पानी भरे.. मैंने पापा से कहा की पापा मुझे लिंग चूसने दीजिये तो मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा... पापा मना करते रहे और मैं माना नहीं.. मैंने उनकी साड़ी उठाई और फिर साया.. पापा ने सुन्दर पैंटी पहन राखी थी जो उनके लिंग का बोझ नहीं झेल पा रही थी.... मैंने पैंटी का बोझ अपने मुंह में ले लिया. थोड़ी देर तक चूसने के बाद मैंने अपना लिंग पापा की मुंह में दिया.. पापा नहीं नहीं करते रहे पर मैं माना नहीं और जबरदस्ती अपना लंड उनकी मुंह में घुसेड दिया. पापा को मन मार कर मेरा लंड चूसना पड़ा.
पापा का लंड चूसने के बाद मैंने उनके बूब्बे दबाये और चूसे.. पापा मदमस्त हो गए थे.. इतना की उनका झडा तो पूरी साड़ी भींग गयी...
इस घटना के २-३ दिन बाद घर के सारे लोग किसी साड़ी में गए थे. मैं और पापा नहीं गए थे. उस रात मैं साड़ी पहन के पापा के पास  गया तो उन्होंने मुझे भगा दिया.. अब वो मेरे साथ सेक्स नहीं करेंगे ये सोच कर मैं वापस श्रृंगार रूम आ गया.. मैंने पैंटी नहीं पहन रखी थी, वो ही ढूंढ रहा था. बाद में खोजूंगा सोच कर मैं हार और लिप ग्लोस लगा रहा था.. चूड़ी पहनने के लिए झुका और उठा तो आईने में पापा को देख कर चौंक गया.. पापा ने कहा "इसे ही ढूंढ रहे थे न" मैंने देखा की पापा की लंड पर मेरी रंग बिरंगी पैंटी रख रखी है.. मैंने आगे बढ़ कर पैंटी ले ली और देखा की उनके लंड पर कंडोम चढ़ा है... "उस दिन का सेक्स ऐसे नहीं करते.. पहले कंडोम पहनते हैं फिर कुछ करते हैं". "चूस कर देखो, तुम्हारा मनपसंद स्वाद है" मैंने केले का स्वाद चखते ही पागल हो गया. मैंने कहा की अब आप ही मुझे पैंटी पहना दो.. पापा ने मुझे गोद में उठाया और धीरे से मेरी साड़ी उठाई  और फिर प्यार से पैंटी पहना दी. पापा ने मेरा बाकी श्रृंगार किया... कहा तुम्हारे लिए तो मैंने विग भी रखा है. फिर मुझे बिलकुल औरतों में बदल दिया.  पुछा बता की औरतें कैसे चलती हैं, मैंने चल कर दिखाया और कैसे मलत्याग करती हैं.. मैंने वो भी करके दिखाया.. "शानदार.. तुम एक अच्छी औरत साबित होगे". पापा ने कहा की शादी के बिना औरत अधूरी है...मैंने कहा की आप मुझसे शादी करोगे? पापा ने कहा की मैं तुम्हे अपनी धर्मपत्नी स्वीकारता हूँ.. मेरे मांग में उन्होंने सिन्दूर भरा और फिर कहा .. तुम्हे पत्नी का धर्म निभाना होगा.. और मुझे अपने कमरे में ले गए.. पहले हम एक दुसरे का चूसते रहे फिर पापा ने मेरी गांड चाटी .. चाट चाट कर मेरी गांड नरम कर दिया... फिर मुझसे वसेलिने लाने के लिए कहा.. मैं वसेलिने ले कर आया.. पापा ने कहा ये तकिया मुंह में रखो... औत कुतिया बन जाओ... मैं कुतिया बन गया.. पापा... माफ़ कीजिये मेरे पति ने तब तक मेरी गांड में ढेर सारा वसेलिने लगाया.. मैंने जैसे ही तकिया मुंह में लिया... पतिदेव  ने अपना लंड पूरे का पूरा एक बार में मेरी गांड में दे दिया... मैं दर्द से बिलबिला उठी... तकिये के कारण चिल्ला नहीं सकी. पापा ने धीरे धीरे मेरी गांड मारनी शुरू की.. थोड़ी ही देर में मुझे मजा आने लगा... मेरे पति ने अपनी रफ़्तार फुल स्पीड में चालु कर दी.. और थोड़ी देर में मेरी गांड में झड गया... मैं भी थक कर नीचे गिर गयी... थोड़ी देर बाद मैं उठ कड़ी हुई और उसके लंड से खेलने लगी... उसका लंड खड़ा हो गया... मैंने अपना लंड उसके मुंह में दिया... वो बोला की मैं दोबारा झड़ने वाला हूँ.  ये सुनते ही मैंने उसका कंडोम फाड़ दिया ताकि मैं उसके ras का मजा ले सकूं. 
पति मेरे मुंह में और मैं उसके मुंह में झड गयी.. हम लोग ऐसे ही एक दुसरे की बाँहों   में सो गए..
सुबह मेरी नींद लेट से खुली और मैंने देखा की मेरे पति मेरे पास नहीं है.. मैंने कपडे बदले और वापस सो गया.. शाम में पापा वापस आये और साथ में खाने का सामान भी.. पापा के पास एक और पाकेट था जिसे लेकर वो अपने रूम में गए... थोड़ी देर बाद उन्होंने अपने रूम से आवाज़ लगाई.. मैं ऊपर गया और उन्हें साड़ी में देखा... मेरा फिर खड़ा होने लगा.. उन्होंने कहा की तैयार हो जाओ.. मैं कपडे उतर कर साड़ी यों की तरफ बाधा था की वो बोले की आज हम माँ बेटी बनेंगे.. मैंने अपनी बेटी के लिए महँगी वाली लहंगा चोली ली है.. मैंने ब्रा पैंटी पहनने के बाद चोली पहनी तो पाया  की वो थोड़ी कसी है.. ये देख कर मम्मी हसने लगी की "मैंने अपनी बेटी के लिए जान बूझ कर छोटी चोली ली है". मैंने पूरे कपडे पहने और फिर हम खाने के टेबल पर पहुंचे.. मम्मी ने हम दोनों के लिए खाना लगाया. इतनी बूख लगी थी हम दोनों ने ३ मिनट के अन्दर ही खाना ख़तम कर दिया. फिर हम १२ बजे रात तक औरतों के कपड़ों में रहे.. और देर तक बातें करते रहे की मम्मी ने कब साडी पहननी शुरू की.. मम्मी ने बताया की वो बचपन से ही साडी पहनने की शौक़ीन है, मुझे कैसे  लत पड़ी ये मैंने उन्हें बताया.  मम्मी ने कहा की वो जानती है की उस लड़के ने मुझे ही क्यों चुना. पर बताया नहीं, फिर बातों बातों में वो मेरे लंड से खेलने लगी और अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया. मैं झुक कर उनके लंड को चूसने लगा. थोड़ी देर चूसने के बाद मैंने मम्मी की गांड चाटी. इस बार मैंने अपनी मम्मी की गांड मारी.. मम्मी ने कहा की मैंने कल से पहले किसी की गांड नहीं मारी थी.. और आज से पहले किसी से गांड नहीं मरई थी.. मैंने कसम ली थी की अपने बेटी से ही गांड मराऊंगी .मैंने कहा की मम्मी आपको ये कसम किसने दिलाई थी? मम्मी ने कहा की ये बात मैं तुझे फिर कभी बताऊंगी.

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